बचपन की यादें भी क्या खास होती है और जब आप दिल्ली से हो तो क्या कहने अभी उम्र के पहले पड़ाव में है चारो भाइयो में तीसरे नंबर पर ही मेरा नंबर आता है और जब बात पतंग की हो तो 15 अगस्त के दिन देशभक्ति के साथ साथ पतंगों की मस्ती में बीत जाता है पिछले दो साल लगातार 15 अगस्त के दिन बस सुबह सुबह लाल किले पर प्रधानमंत्री जी का भाषण सुनके ही बीत जाता रहा है क्योंकि सुबह से ही आसमान पर काले बादलों ने अपना डेरा बनाया हुआ था तेज हवाओं से लोगो के छत पर लगी चद्दरें तक एक दूसरे की छतों का भ्रमण करने लगी थी।
लेकिन ये साल कुछ अलग ही है इस बार भी हर साल की तरह एक कमरे की छोटी सी छत और 2 चरखरियो के साथ आसमान पर नज़र टिकी हुई है एक भाई कन्ने बांध रहा है मै हवा का बहाव बता रहा हूँ सबसे छोटे सरकार अपना हाफ कच्छा पहने गलियों में मोर्चा संभाले खड़े थे कि किस और से कोई पतंग कट कर आ रही है । कद छोटा है लेकिन सपने तो आसमान छू रहे है पिन्नी की पतंग से गुड्डे को काटने की सोच के साथ हमारी पतंग छत के घेरे से बाहर जा चुकी है बस हवा थोड़ी धीमी है इसलिए मेहनत कुछ ज्यादा ही चल रही है मांजे की सीमा पार हो चुकी है और मेरी पतंग आसमान में फुल गुंडई दिखा रही है कभी दाएं कभी बाएं घूम घूम कर सबके छक्के छुड़ा रही है आखिर छुड़ाए भी क्यो न भाई पतंग किसकी है राम विनय की दुकान हाँ हाँ रामविनय की दुकान से पतंग आई है पापा और भाई से जो भी पैसे मिले सब मिला कर पतंग लाये है और मांझा तो भैया पाण्डा माँजा है ढील और खींच दोनो के साथ सबकी पतंगे काट रहा है बस कमी एक है कि मांझा अपने दायरे से बाहर निकल कर पतंग का पूरा साथ निभा रहा है और अब मसला सद्दी पर आ चुका है पूरी चरखी खाली हो चुकी है पतंग आसमान में अटखेलिया कर रही है तभी पीछे से मुन्ना का काला गुड्डा आ गया अब तेज खींच के साथ पतंग उतार रहे है मैं चरखी लपेट रहा हूँ उतारने के स्पीड काफी तेज है लेकिन अभी भी सद्दी ही हाथों की पकड़ में है हम जोर जोर से चिल्ला रहे है जल्दी उतरो जल्दी उतारो इसी के साथ एक तेज झोंके के साथ हाथ के पास से कुछ गया। ये क्या सद्दी की पकड़ ढीली पड़ चुकी है और हमारी पतंग मांझे के साथ आसमान में हवाओ के साथ बह रही है और उधर के खेमे में आई बो की आवाज एक अजीब से गुस्सा दिला रही है क्योंकि हमारी पतंग अब कट चुकी है ।