Thursday, April 23, 2020

कटी पतंग "यादे बचपन की"

बचपन की यादें भी क्या खास होती है और जब  आप दिल्ली से हो तो क्या कहने अभी उम्र के पहले पड़ाव में है चारो भाइयो में तीसरे नंबर पर ही मेरा नंबर आता है और जब बात पतंग की हो तो 15 अगस्त के दिन देशभक्ति के साथ साथ पतंगों की मस्ती में बीत जाता है पिछले दो साल लगातार 15 अगस्त के दिन बस सुबह सुबह लाल किले पर प्रधानमंत्री जी का भाषण सुनके ही बीत जाता रहा है क्योंकि सुबह से ही आसमान पर काले बादलों ने अपना डेरा बनाया हुआ था तेज हवाओं से लोगो के छत पर लगी चद्दरें तक एक दूसरे की छतों का भ्रमण करने लगी थी।

लेकिन ये साल कुछ अलग ही है इस बार भी हर साल की तरह एक कमरे की छोटी सी छत और 2 चरखरियो के साथ आसमान पर नज़र टिकी हुई है एक भाई कन्ने बांध रहा है मै हवा का बहाव बता रहा हूँ सबसे छोटे सरकार अपना हाफ कच्छा पहने गलियों में मोर्चा संभाले खड़े थे कि किस और से कोई पतंग कट कर आ रही है । कद छोटा है लेकिन सपने तो आसमान छू रहे है पिन्नी की पतंग से गुड्डे को काटने की सोच के साथ हमारी पतंग छत के घेरे से बाहर जा चुकी है बस हवा थोड़ी धीमी है इसलिए मेहनत कुछ ज्यादा ही चल रही है मांजे की सीमा पार हो चुकी है और मेरी पतंग आसमान में फुल गुंडई दिखा रही है कभी दाएं कभी बाएं घूम घूम कर सबके छक्के छुड़ा रही है आखिर छुड़ाए भी क्यो न भाई पतंग किसकी है राम विनय की दुकान हाँ हाँ रामविनय की दुकान से पतंग आई है पापा और भाई से जो भी पैसे मिले सब मिला कर पतंग लाये है और मांझा तो भैया पाण्डा माँजा है ढील और खींच दोनो के साथ सबकी पतंगे काट रहा है बस कमी एक है कि मांझा अपने दायरे से बाहर निकल कर पतंग का पूरा साथ निभा रहा है और अब मसला सद्दी पर आ चुका है पूरी चरखी खाली हो चुकी है पतंग आसमान में अटखेलिया कर रही है तभी पीछे से मुन्ना का काला गुड्डा आ गया अब तेज खींच के साथ पतंग उतार रहे है मैं चरखी लपेट रहा हूँ उतारने के स्पीड काफी तेज है लेकिन अभी भी सद्दी ही हाथों की पकड़ में है हम जोर जोर से चिल्ला रहे है जल्दी उतरो जल्दी उतारो इसी के साथ एक तेज झोंके के साथ हाथ के पास से कुछ गया। ये क्या सद्दी की पकड़ ढीली पड़ चुकी है और हमारी पतंग मांझे के साथ आसमान में हवाओ के साथ बह रही है और उधर के खेमे में आई बो की आवाज एक अजीब से गुस्सा दिला रही है क्योंकि हमारी पतंग अब कट चुकी है ।


Tuesday, April 21, 2020

आई टी "IT " वालो का लॉक डाउन

मैं एक आई टी कर्मचारी हूँ हाँ हाँ मैं ही वो आई टी कर्मचारी हूँ जो सारी कम्पनी के कम्प्यूटर का बोझ उठता हूँ लेकिन उसके बाद भी सबसे निठल्लों में गिना जाता हूँ । लेकिन खुशी इस बात की है की मेरा ही नही ऊपर से लेकर नीचे तक सबका हाल एक जैसा ही है वो चाहे डेस्कटॉप इंजीनियर हो या आई टी मैनेजर ।


चलो छोड़ो ये तो बात हुई आफिस के समय की लेकिन आज कल तो मेरा हाल सबसे बदतर है क्योंकि में एक आई टी कर्मचारी हूँ कोरोना काल मे मै ही कम्पनी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हूँ निठल्लों की गिनती में मेरा नाम तो आता ही है लेकिन क्या कहे जनाब हमारा हमारे प्रोफेशन से ऐसा नाता ही है लॉक डाउन के चलते आज कल वर्क फ्रॉम होम चल रहा है सुबह उठ कर बैठ जाता हूँ सुबह से शाम तो न जाने कितने पढ़े लिखे अनपढों को अंगुली पकड़ के काम करना सिखाता हूँ छुट्टी का दिन भी फोन पर बिताता हूँ बॉस की गालियां खाता हूं लेकिन सब कुछ होते हुए भी कुछ बोल नही पाता हूँ ।
घर पर रहकर घर के कामों में हाथ बटांता हूँ सब्जियां काटता हूँ दूध लाता हूँ लंच ब्रेक पर बच्चे भी खिलाता हूँ क्योकि में आई टी का विधाता हूँ ।
एक तरफ सब बढ़िया पकवान बनाते है और में मैगी बना कर खाता हूं । लॉक डाउन पर सब परिवार के साथ समय बिता रहे हैं पर मैं क्या बताऊँ भाई इतना सब लिख दिया की अब बोल नही पाता हूँ ।


Sunday, April 19, 2020

भैया जी की बकलोल जिंदगी ।

ई जो लाल गमछे में लाल बादशाह बने दिख रहे है ये है हम बोले तो अभिषेक कुमार दुबे "AD" जन्म 1991 में फैज़ाबाद से 26 किलोमीटर दूर ग्राम टड़िया नंदलाल दुबे के पुरवा में हुआ । ग्राम के नाम से ही लग रहा होगा कि नंद के लाल से कम नही होंगे लेकिन सच्चाई तो सदैव कड़वी होती है । 
जन्म और कर्म दोनो भिन्न होता है और हुआ भी ये ही ।
बड़ा शौक चढ़ा दिल्ली रहने का और चले आये दिल्ली, 4 साल की उम्र से अभी तक दिल्ली में रह रहा हूँ सारी पढ़ाई दिल्ली से करी जितनी हो सकी बाकी राम भरोसे । सन था 2010 नाम और काम दोनो मे कम्प्यूटर बड़ा नाम था इसलिए कम्प्यूटर सीखने का चस्का चढ़ा फिर क्या था चल पड़ा अपनी झंड जिंदगी के पहली सीढ़ी की खोज में अब कोर्स भी जैसे तैसे पूरा हुआ नॉकरी की तलाश शुरू हुई लेकिन ये क्या गज़ब चल पड़ा सब नॉकरी मिलती रही और जाती रही बचाया कुछ नही सब उड़ाया ही उड़ाया और आज बेरोजगारी की चरम सीमा पर पहुच गया बाहर कोरोना से जान को खतरा है तो घर मे बोली के बाण से । लेकिन कर कुछ नही सकते क्योंकि कमी कुछ नही बस एक है बेरोजगार होना लेकिन ये शुरू से ही ऐसा नही था जिंदगी मस्त चल रही थी लेकिन कहते है न काल से तो प्रभु राम भी नही बच पाए तो भैया हमारी क्या औकात समय कुछ ऐसा आया कि नॉकरी छोड़नी पड़ी महीने बीते साल बीते खाली था लेकिन लगता था बहुत काम करना पड़ता है पर सच्चाई से मुंह नही छिपाया जा सकता इसलिए नॉकरी ढूंढ रहा था मिली भी लेकिन समय खराब हो तो ऊंट पर बैठे आदमी को भी कुत्ता काट लेता है अब कुछ ऐसा हो मेरे साथ हो रहा है बात बनी तो दिल्ली में दंगे हो गए चलो कोई नही दूसरी नॉकरी का जुगाड़ किया ऑफर लेटर भी आया लेकिन कहते है न जब ऊपर वाला पेलता है तो अब तरफ से ही पेलता है 23 तारीख के दिन ही मेरी 1 साल से ज्यादा की जिंदगी पर लगा बेरोजगारी का तमगा हटने ही वाला था कि साला चाइना का कोरोना काल बन गया और जो हाल पहले था वो ही आज है 
मैं कल भी बेरोजगार था और आज भी बेरोजगार हूँ ।


माफ करना ऊपर कुछ शब्दों में आपको आपत्ति हो सकती ले लेकिन क्या करूँ शब्द तो और भी थे लेकिन दिल गवाही नही दिया लिखने में ।

Friday, April 17, 2020

17 अप्रैल 2020 लॉकडाउन 2.0 का तीसरा दिन ।

आज सुबह 6:57 आंख तो ऐसे खुली की जैसे कुछ बड़ा ही होगा लेकिन जब समय खराब हो तो दिन की ऐसी तैसी होने निश्चित ही हो जाता है । चाय नास्ता कर तैयार हो गया दिन की बेहतर शुरुवात सोच कर ।


शुक्रवार का दिन सुबह राशि फल पढा तो ऐसा लगा कि आज कुछ अच्छा ही होगा फिर क्या था अच्छे दिन की सोचते सोचते घड़ी सुबह के 11:30 बजा चुकी थी लेकिन घड़ी का क्या है उसका तो काम ही है समय बताना लेकिन पूरा ध्यान तो राशिफल अनुसार बेहतर दिन की तलाश में था । खाना खाया लैपटॉप उठाया और बैठ गया कुछ ज्ञान वर्धन करने कुछ देर तो क्लास देखी और फिर शुरुवात हुई बेहतर दिन की और इसी बेहतर शुरुवात के साथ नींद ने गोद लगाया पुनः आंख खुली तो सूरज अपनी दिशा बदल कर सर पर खड़ा था । विचार हुआ कि क्यो न कुछ और नया किया जाए फिर उठाई बाल्टी , शेम्पू और कपड़ा चल पड़ा मारुति 800 lxi की सफाई में अब सफाई करते करते शाम हो गई और आसमान में काले बादलों ने अपनी दबंगई दिखानी शुरू कर दी कुदरत है इसके आगे तो भगवान ने भी घुटने टेक दिए थे मैं किस खेत की मूली था चुपचाप अंदर आ कर फोन उठाया और आज की सबसे बढ़िया सेल्फी ली और आ गया ब्लॉग लिखने अब मैं ब्लॉग लिख रहा हूँ और अंदर टी वी पर रामायण का पुनः टेलीकास्ट चल रहा है ।
कोरोना काल मे झंड जिंदगी के दिन की शुरुवात अच्छी थी और उसे बेहतर बनाया मौसम और मेरे द्वारा ली गई मेरी सेल्फी ने । 

मज़ा आ गया ।

Tuesday, April 14, 2020

कोरोना लॉक डाउन 2.0 "15 अप्रैल से 3 मई 2020 तक"

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी द्वारा आज दिनांक 14 अप्रैल को सुबह 10 बजे कोरोना संकट से बचने के लिए एक बार पुनः 15 अप्रैल से 3 मई 2020 तक पूरे भारत मे सम्पूर्ण लॉक डाउन को बढ़ाया गया है और लोगो को घरो में रहने के लिए भी बताया गया। प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा 7 नुस्खे के बारे में बताया गया है कि कैसे कोरोना जैसे संकट से बचा जा सकता है ।

वैश्विक स्त्रबपर देखा जाए तो कोरोना की चपेट में अधिकतर वृद्ध ही आ रहे है या जो लोग पहले से कुछ बीमार चल रहे थे वो भी इसकी चपेट में आने से नही बच पा रहे है । इसलिए मोदी जी ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा घरो में रहो। वृद्ध लोगो का विशेष ध्यान रखो और ज्यादा से ज्यादा गुनगुना पानी का सेवन करो काढा पियो ,योग करो बाहर जाते समय मास्क पहन कर निकलो सोशल डिस्टनसिंग का पालन करो । कोरोना जैसी संकट की घड़ी में डॉक्टर, पुलिस व अन्य कोरोना योद्धाओं का सम्मान करो ।आस पास गरीब परिवारों की सहायता करो ।

मानव धर्म का पालन करो ।

अगर इम्युनिटी अच्छी होगी तो कोरोना की हार निश्चित है इसलिए नियमो का पालन करो , इम्युनिटी बेहतर बनाने के लिए योग व संतुलित आहार लें।