Monday, July 5, 2021

कागज की नाँव "सपने"

कागज की नाव :-


एक वो समय था जब हम कागज की नाव से बाढ़ के पानी मे अपने सपनो को पार लगाते थे 

यूं तो दिल्ली में बाढ़ का इतिहास काफी गहरा रहा है लेकिन वो बाढ़ मेरे जीवन की सबसे बड़ी यादगार है एक तरह लाखो की आबादी पानी मे थी लेकिन हमारे सपने तो पानी के ऊपर चल रहे थे ।
लोग घर गृहस्थी की सुधारने में लगे थे और हम पानी मे अपनी यादों को और सघन बनाने में लगे थे पापा ऑफिस से घुटनों तक पानी मे घर लौट रहे है एक तरफ के लोग बर्तनों से पानी बाहर फैक रहे है और हमारा क्या है हम तो झुंड बना कर अपने सपनो में रमे हुए है एक कॉपी लाई गई पन्नो को अलग किया गया फिर होड़ लग गई कि कौन बढ़िया नाव बनाएगा ।
बस 6 से 7 नावे बन कर तैयार थी पानी मे उतरने को लेकिन उम्र छोटी थी पर सपने बड़े हो चुके थे लगा कि पानी मे नाव बिना नाविक के कैसे चलेगी फिर क्या था शूरु हुई खोज नाविकों को लेकर पानी उतरने से पहले नाव जो उतारनी थी नज़र पड़ी एक और छोटे से छेद में और दिमाग मे घण्टिया बजी और कुछ पानी की बूंदे डाल दी छेद में बस इंतज़ार चल रहा था एक एक कर नाविकों की फ़ौज तैयार थी एक नाव पर एक चींटा बैठा दिया गया अब 7 नावे पानी मे और हमारे सपने आसमान पर थे |